राम-केवट संवाद प्रसंग की कथा सुन भाव विभोर हुए श्रोता


 भजन-गीतों पर झूमते रहे श्रद्धालु, जयघोष से गुंजायमान रहा वातावरण

सांचौर। बड़ी विरोल के श्री राज ऋषि दिलीप गौसेवाश्रम में श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के निमित्त समस्त ग्रामवासियों द्वारा आयोजित श्रीराम कथा महोत्सव के सातवें दिन मंगलवार को परम गौभक्त संत हरिहरदास ने केवट प्रसंग की मार्मिक व्याख्या की। जिसको सुनकर श्रोता भाव विभोर हो उठे। संगीतमय भजन कीर्तन का दौर भी चला। पंडाल में मौजूद श्रद्धालु झूमने लगे। जय श्री राम के जयघोष से वातावरण गुंजायमान रहा।संत ने कहा कि यह केवट का प्रभु राम के प्रति विशुद्ध प्रेम ही था कि वनवास के 14 वर्ष की समाप्ति तक गंगा के किनारे बैठकर उनकी वापसी की प्रतीक्षा की। केवट ने उतराई लिए बिना प्रभु श्रीराम को गंगा पार पहुंचाया परन्तु बदले में स्वयं को अपने परिजनों को और अपने पितरों के साथ-साथ आने वाली अपनी पीढ़ियों को भी भवसागर पार करवा दिया।

कथा का रसपान करते रहे श्रद्धालु

गौभक्त संत हरिहरदास ने केवट प्रसंग की मार्मिक व्याख्या की। उन्होंने कहा कि केवट के यह कहने पर कि प्रभु तुम्हारी और हमारी जाति एक ही है बस अंतर इतना है कि मैं लोगों को गंगा पार करवाता हूं और आप जीवात्माओं को भावसागर पार कराते हो। मैं गंगा सागर का केवट हूं और आप संसार सागर के केवट हो। निःसंदेह वनवासी केवट ने प्रभु राम की स्वर्ण मुद्रांक लौटकर यह संदेश दिया कि जब भक्त परमपद को पा लेता है तो वह संसार के माया बंधनों से मुक्त हो जाता है। कथा के प्रारम्भ में पंडित दिनेश जानी ने मंगलवार के यजमान वालाजी, खेताजी एवम देवाज़ी ओड परिवार को  कथा पीठ और व्यास का विधि विधान से पूजन-अर्चन कराया। कथा प्रारम्भ करते हुए संत ने कहा कि राम कथा सुनने मात्र से जीवन में बदलाव नहीं आता बल्कि उनके आचरण को अपने जीवन में उतारने से मनुष्य के जीवन में बदलाव आता है। 

25 को होगा समापन

 ज्ञातव्य हैं की विरोल बड़ी में 9 दिवसीय श्रीराम कथा महोत्सव का समापन कल 25 जनवरी पौष शुक्ल पूर्णिमा के दिन गुरु-पुष्य नक्षत्र में होगा।


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