आठवें दिन की रामकथा में भरत मिलाप के मार्मिक वर्णन से नम हुई आंखें


सांचौर। “परे भूमि नहिं उठत उठाए, बर करि कृपासिंधु उर लाए।” भरत जी पृथ्वी पर पड़े हैं और उठाए नहीं उठ रहे हैं। भगवान राम ने उन्हें उठाकर हृदय से लगा लिया। इसके साथ ही चारो भाईयों का भावपूर्ण मिलन देख सभी भावुक हो गए। कुछ ऐसा ही हुआ श्री राजऋषि दिलीप गौसेवाश्रम विरोल बड़ी में श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के निमित समस्त ग्रामवासियों द्वारा आयोजित श्रीराम कथा महोत्सव के आठवें दिन जब कथा वाचक गौभक्त संत हरिहरदास महाराज ने जब राम-भरत मिलाप की कथा सुनाई तो यहां भक्तगणों की आंखें नम हो गईं। कथा के प्रारम्भ में पंडित प्रकाश जानी ने बुधवार के यजमान थानसिंह राठौड़ परिवार को व्यास पीठ का विधि विधान से पूजन-अर्चन कराया। कथा प्रारम्भ करते हुए संत ने कहा की श्री राम के आदर्शों पर चलकर मनुष्य सिर्फ अपने इस जीवन में ही बदलाव नहीं लाता बल्कि आगे आने वाले कई जन्मों के लिए भी पुण्य लाभ कमा लेता है। उन्होंने कहा कि आजकल हर घर में भाई भाई में झगड़ा होने की बात आम हो गई हैं लेकिन यदि श्रीराम के आदर्शों को माना जाए और भरत की तरह भाई बनकर सोचा जाए तो जीवन में कितना बदलाव हो सकता है इसकी कोई कल्पना नहीं कर सकता। कथा सुनने आसपास के गावों और पड़ोसी राज्य गुजरात से सैकड़ों लोग पहुंच रहे हैं। कथा में मनसुखदास महाराज पथमेड़ा, डॉ. उदाराम वैष्णव, श्रवण कुमार पथमेड़ा, पूर्व सरपंच अम्बाराम बिछावाड़ी,  दुर्जनसिंह, करतारसिंह, राजूसिंह, राजाराम सिलोणा, गणेशाराम मालवी, बेचराराम देवासी, गणपत प्रजापत, छगनराम डेलिगेट, वालाराम मेघवाल, प्रभुराम गर्ग सहित सैकड़ों महिलाएं, बच्चे व पुरुष पहुंच रहें हैं।

आज होगा कथा का समापन

श्री गौधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित श्री राजऋषि दिलीप गौसेवाश्रम विरोल बड़ी में आयोजित नौ दिवसीय श्री राम कथा महोत्सव का समापन क्षेत्र के कई मूर्धन्य संतो और गणमान्य लोगों की मौजूदगी में आज होगा। ज्ञातव्य हैं की विरोल बड़ी में 17 जनवरी से नौ दिवसीय श्रीराम कथा महोत्सव का आयोजन हों रहा हैं। जिसका समापन आज 25 जनवरी को होगा।


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