नेशनल हाईवे 68 जगह-जगह से गड्ढों में तब्दील, सांचौर शहर की गड्ढों में तब्दील हुई सड़क, हिचकोले खाकर निकलते वाहन


सड़कों के हालत धीरे-धीरे ऐसे बनते जा रहे हैं कि सावधानी हटी और दुर्घटना घटी

अमृत सोलंकी सांचौर

सांचौर। सरकार की गड्ढा मुक्त सड़क की मंशा पर निर्माण विभाग खरा नहीं उतर रहा है। यही कारण है कि थोड़ी सी बारिश में नगर से निकलने वाली सड़कें गड्ढों में तब्दील हो गई हैं जिसके कारण वाहन हिचकोले खाकर निकलते नजर आते हैं। 8 महीने पहले नेशनल हाइवे 68 का करोडो रुपए खर्च करके रिकारपेट का काम करवाया गया था। जिसके गुणवत्ता की पोल मानसून की पहली बारिश ने खोल दी। जिसके बाद एनएचएआई के अधिकारियों ने कहा कि बारिश के बंद होते ही सड़क का मरम्मत कार्य शुरू करवा देंगे। अब बारिश बंद हुए भी एक महीने का वक्त बीत चुका है, लेकिन काम शुरू नहीं हो पाया है। इन सड़कों के हालत धीरे-धीरे ऐसे बनते जा रहे हैं कि सावधानी हटी और दुर्घटना घटी। दिन के समय में तो फिर भी सड़क के गड्ढे दिखाई देने के कारण गनीमत रहती है, लेकिन रात का सफर तो आपके लिए खतरे से खाली नहीं है। अब इन गड्ढों से निकली बाहर निकली मिट्टी रोड पर फैलने गई है और जैसे ही कोई भारी वाहन रोड से गुजरता है यह मिट्टी धूल का गुबार अपने पीछे छोड़ती जाती है। इस गुबार के कारण दो पहिया वाहनों और पैदल चलने वालों को परेशान कर रही है। जो वाहन चालक यहां से निकलते हैं वे लोग इन गड्ढों में हिचकोले खाने के साथ ही धूल भी खा रहे हैं। जानकारी के अनुसार गांधव से लेकर गुजरात बॉर्डर तक सड़क पीडब्ल्यूडी के अंडर में थी, लेकिन बीते साल इसको नेशनल हाइवे अथॉरिटी को हैंड ओवर कर दिया गया। जिसके बाद एनएचएआई ने गांधव से गुजरात बॉर्डर तक पूरा 32 करोड़ की लागत से डामरीकरण करवाया था। उसके बाद मानसून की पहली बारिश में ही टूट गई। अब गुजरात बॉर्डर से लेकर गांधव तक सड़क में जगह जगह गड्डे हो गए है। जिससे हादसे हो रहे है। नेशनल हाइवे 68 के रिकारपेट कार्य का टेंडर होने के बाद यूपी की एक कंपनी ने घटिया गुणवत्ता से सड़क का कार्य किया था। जिसके चलते सड़क बारिश के साथ ही सड़क बिखर गई। शहर के सच विहार के सामने से लेकर माखुपुरा तक सड़क का नामो निशान तक नहीं है। इसके अलावा इधर गुजरात बॉर्डर तक व बाड़मेर की तरफ की बात करे तो मनमोहन हॉस्पिटल से लेकर कारोला तक, इसके आगे धमाणा, डेडवा, सिवाड़ा, चारणीम में पास सड़क पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। क्षतिग्रस्त नेशनल हाईवे 68 पर अब बाइक चालकों का चलना मुश्किल हो गया है। क्योंकि सड़क पर बड़े बड़े वाहनों के चलने से धूल के गुबार उड़ रहे हैं। ऐसे में बाइक सवार को सड़क पर कुछ नहीं दिखता है।

शहर की सड़कों पर भी हिचकोल

बारिश के बाद से ही शहर की प्रमुख सड़कें खस्ता हाल हो गई हैं। गड्ढों व उखड़ी गिट्टियों पर वाहन हिचकोले खाते हुए चलत हैं। इससे गर्दन और कमर में दर्द की शिकायतें बढ़ रही हैं। नगर परिषद क्षेत्र की सड़कें बदहाल हो गई हैं और उनका कोई पुरसाहाल नहीं है। हाड़ेचा बस स्टेण्ड से लेकर मेहता हॉस्पिटल के बीच की सड़क पर जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं। शहर के बाजार में भी सड़क पर भी गड्ढे हो गए हैं। इन सड़कों पर वाहनों की रफ्तार धीमी हो जाती है। दुपहिया वाहन चालक तो इस पर हिचकोले खाते हुए चलते हैं। जरा सी असावधानी होने पर गिरने का डर भी बना रहता है। इन सड़कों पर चलना जोखिम भरा है। सड़कों के गड्ढों से वाहन भी खराब हो रह हैं और सेहत भी। बदहाल सड़कों पर मोटरसाइकिल से आने-जाने वालों की रीढ़ की हड्डी पर असर पड़ता है। इससे कमर और गर्दन में दर्द की शिकायतें हो रही हैं। उखड़ी हुई गिट्टियां बड़े वाहनों के पहिए में फंसकर उछलती तो लोगों को चोट भी लगती है। एक डॉक्टर ने बताया कि गड्ढे वाली सड़कों पर बाइक चलाने से कमर की नसों पर दबाव बढ़ जाता है। पैैरों में झंझनहट होने लगती है। कमर व गर्दन में दर्द एवं सर्वाइकल के मरीज बढ़ रहे हैं। ऐसी सड़कों पर धीरे-धीरे ही चलना चाहिए। साथ ही व्यायाम भी जरूरी है।

वाहन निकलते ही धूल के उड़ते हैं गुबार

नेशनल हाइवे 68 पहली मूसलाधार बारिश के बाद से ही जगह-जगह पर गड्डे पड़े हुए है। वहीं शहर के अनेक स्थानों पर छोटे-छोटे गड्ढे अब बड़े गड्ढों में तब्दील हो गए हैं और इनकी बड़े-बड़े गड्ढों से निकली मिट्टी वाहन निकलने से धूल के गुबार बना रही है।

गिट्टी भरने के बाद नहीं हुआ कार्य

नेशनल हाइवे 68 सड़क पर कई स्थानों पर खुदाई की है। खुदाई करने के बाद उन गड्ढों को गिट्टी से भर दिया गया। साथ ही धूल के गुबार भी उड़ रहे हैं। इससे दुकानदारों और बाइक चालकों को काफी परेशानी हो रही है। यह छोटे-बड़े गड्ढे अब हादसे को न्यौता दे रहे हैं।


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