‘बप्पा’ के जैकारों से गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन


रात जरा थम-थम के गुजर, अभी थिरकना बाकी है
रानीवाड़ा। गणेश चतुर्थी के दिन सिद्धी विनायक भगवान गणपति की प्रतिमा की स्थापना के साथ गणेशोत्सव का आगाज हुआ था, दस दिनों से चल रहे गणेश महोत्सव पर गरबा नृत्य का बुधवार को शोर थम गया, गुरूवार को गणेश प्रतिमाओं की मण्डल कार्यकर्ताओं ने टैक्टर ट्रोलियों को रथ के रूप मे सजा धजा कर उस पर बिराजमान गणेश प्रतिमा के समक्ष ज्योत प्रज्ज्वलित कर श्रद्धालुओं ने गणपति को मोदक के लड्डु व विभिन्न फलों का भोग लगाकर विघ्नहर्ता को समृद्धि व खुशहाली की कामना कर ओड कॉलोनी द्वारा वरघोडा निकाला गया। वरघोडे मे डीजे की धुन व ढोल नगाड़ों के साथ झुमते युवक-युवतियां की टोलियां का उत्साह देखते बन रहा था। मंगल गीत गाती महिलाएं मुख्य मार्गों से शोभायात्रा निकालकर गणपति बप्पा मोरिया, अगले वर्ष जल्दी आना के जयघोष के साथ प्रतिमा विसर्जन हेतु आगे बढ़ी तो शोभायात्रा के दौरान सड़के गुलाल व फूलों से सरोबार हो गई। गणेश प्रतिमा को जलुस के रूप में झुमते, गुलाल उड़ाते गणपति बप्पा मोरियां मगंल मुर्ति मोरियों अगले वर्ष तु जल्दी आना के उद्घोष के साथ सुरजवाड़ा नदी मे विसर्जन किया गया। गणपति प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ गणपति महोत्सव का समापन हुआ।
ए रात जरा थम-थम के गुजर, अभी थिरकना बाकी है – कस्बे में स्थित ओड कॉलोनी में गणेश चतुर्थी के दिन सिद्धी विनायक भगवान गणपति की प्रतिमा की स्थापना के साथ विसर्जन से पूर्व बुधवार रात्रि गणेश महोत्सव गीतो की मधुर स्वर में लेहरिया के बीच गरबा नृत्य का जुनून युवाओं के सिर चढ़कर बोल रहा था। डांडियो की खनक पर बालिकाएं देर रात तक थिरकती रही, गरबा नृत्य करने वालों के मन में ऐसा ही कुछ आभास था कि ए रात जरा थम-थम के गुजर, अभी थिरकना बाकी है। मधुर स्वर लेहरियों के बीच रंग-बिरंगे मारवाड़ी परिधान पहनकर उत्साह व उमंग में कदम से कदम मिलाकर बालिकाएं देर रात तक थिरकती नजर आई। बुधवार अंतिम दिन रात्रि को गरबा पांडाल में देर रात तक गरबा खेलने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी।
पांडालों में थम गई गरबों की खनक- गुरूवार को गणपति की प्रतिमा विसर्जन के साथ गण्ेशोत्सव गणपति मंडलों पर देर रात तक चलने वाली धमाचौकड़ी सन्नाटे में तब्दील हो गई। रंगबिरंगी तेज व आकर्षक रोशनियों में नहाते आभामय पांडाल और उन पर बजने वाले विभिन्न आध्यात्ममय सिद्धी विनायक भगवान गणपति में गाए, जाने वाले गीतों सहित सारा तामझाम नदारद हो गया। ऐसे में दस दिन तक चले गरबा नृत्य और डांडिया रास के बाद गुरूवार को लोगों ने आराम कर थकान मिटाई।


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