भीनमाल।समरस, समरूप, एकरूप व संगठित हिन्दु समाज की स्थापना हेतु प्रयासरत सनातन संस्कृति जागरण संघ ने यज्ञ का आयोजन किया। यज्ञ अभियान के क्रम में मनोहरमल सुखाडिया पुत्र उकाराम सुखाडिया के घर पर 49 वें यज्ञ का आयोजन किया गया।सनातन संस्कृति जागरण संघ के सदस्य छैलसिंह देवल ने बताया कि यज्ञ में मनोहरमल सुखाडिया सपत्नीक मुख्य यजमान बने। उनके अलावा कुंड पर अन्य बंधु जनों ने बैठकर यज्ञ में भाग लिया। इनके अलावा दर्जनों बंधु, मातृशक्ति व बच्चों ने भी यज्ञ में आहुति दी। यज्ञ से निकली सुगंधी ने हमें अपने सत्कर्मों की महक त्याग के भाव से पूरे हिंदू समाज में बिखेरने की प्रेरणा दी। यज्ञ के उपरांत हिन्दु समाज को संगठित, सशक्त व एक करने हेतु एक गोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसमें वैदिक स्वस्ति पंथा न्यास के संस्थापक प्रमुख आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक व नीलकंठ महादेव मंदिर के निर्माता मुफतसिंह राव ने अपने विचार व सुझाव रखे। मनोहरमल सुखाडिया ने हिंदू समाज के पिछड़े व वंचित वर्ग के बंधुओं हेतु हर संभव प्रयास कर उन्हे समाज की मुख्य धारा में लाने हेतु सनातन संस्कृति जागरण संघ द्वारा किये जा रहे विभिन्न प्रयासों के बारे में जानकारी दी।इस अवसर पर सनातन संस्कृति जागरण संघ के सदस्य व श्रोता जन उपस्थित थे ।जिनमें श्री वैदिक स्वस्ति पंथा न्यास के संस्थापक प्रमुख आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक, नीलकंठ महादेव मंदिर निर्माता मुफतसिंह राव, गुमानसिंह राव, घीसूलाल फुलवरिया, नैनाराम चौहान, वालाराम मौर्य, छैलसिंह देवल, शंकरलाल सोलंकी, गुमानमल ठेकेदार, प्रभुराम जीनगर, नरपतसिंह आर्य, प्रभुराम पांचाल, गंगाराम फुलवारियां, गजेंद्र देवासी, गुलाबाराम जीनगर, एडवोकेट सुरेश बोहरा, किशनलाल माली, हनवंतराम सुखाडिया, गजाराम मेघवाल, दुर्गाराम सुखाडिया, गोपाल जीनगर, संपत सोनी, शंकरलाल फुलवारिया, नरेश सुखाडिया, मनोहर सुखाडिया, मोहनकुमार सेन, दिलीप सोनी, नटवरलाल जीनगर, शंकरलाल गर्ग, मांगीलाल राणा, भरतसिंह राव, श्रवणसिंह राव, रमेश मॉडर्न, महेश ठाकुर, दिलीप चौहान, केवाराम मेघवाल, अर्जुन बंजारा, राजेश सोनी, विक्रमसिंह जोधा, इन्द्रसिंह राव, कुलदीपसिंह राव, चिंटूसिंह ईरानी, जितेंद्र सोनी, रुपनाथ, हरिराम राणा, विनोद लखारा, जोगाराम काबावत, जितेंद्र छीपा, नारायण लुहार, मांगीलाल मेघवाल, विनोद जीनगर, हेमंतसिंह, भानुप्रतापसिंह, हिमांशु, राव विक्रमसिंह आर्य सहित बड़ी संख्या में लोगों के साथ मातृशक्ति उपस्थित रही। यज्ञ का सम्पादन राव विक्रमसिंह आर्य ने वैदिक रीति से करवाया।