मन को सुंदर बनाने से होगा पर्युषण पर्व सार्थक


सांचौर में पर्युषण महापर्व : 3 दिन गृहस्थों के कर्तव्य का किया वर्णन

सांचौर। श्री तपागच्छ जैन संघ द्वारा आयोजित चातुर्मास पर्वाधिराज पर्युषण महा पर्व पर श्री तपागच्छ जैन संघ उपाश्रय में शुक्रवार को परम पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद विजय राजेन्द्र सुरी म. सा. के शिष्य परम पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद विजय राजशेखर सुरी मसा की आज्ञानुवर्तिनी साध्वी सूर्य प्रभा मसा की शिष्या साध्वी तत्वपुर्णा मसा की प्रशिष्या साध्वी तत्वरंजीता साध्वी तत्वनम्रा, साध्वी तत्ववर्मा मसा की निश्रा में पर्वाधिराज पर्युषण महा पर्व के चौथे दिन लाभार्थी शाह बच्छराज कलाजी चंदन परिवार द्वारा कल्पसुत्र वोहरा कर कल्पसुत्र का वांचन साध्वी तत्त्वरंजीता मसा द्वारा किया गया। कल्पसुत्र शास्त्र महान् महापवित्र आचार शास्त्र महापवित्र माना जाता है कल्पयानि आचार, आचार का प्रभाव विचार पर पड़ता है, जैसा खाएगा अन्न वैसा होगा मन, इसी प्रकार विचार का प्रभाव आचार पर पड़ता है। दोनों एक-दूसरे से संबद्ध हैं, विचार भ्रष्टाता खुद को डुबाती है। जो वातावरण को खराब करें, उसे प्रदूषण कहते हैं, जो तन को सुंदर करें, उसे आभूषण कहते हैं, पर जो क्रोध, मान, माया और लोभ रूपी मन की गंदगी को साफ करें, उसे पर्युषण कहते हैं। मन सुंदर बन गयाए समझो पर्युषण पर्व सार्थक हो गया। याद रखें, परमात्मा का निवास किसी मंदिर में नहीं, निर्मल और पवित्र मन में हुआ करता है। मन अगर सुंदर है तो जिंदगी सुंदर है और मन अगर खराब है तो जिंदगी खराब है। आचार भ्रष्टाता दुसरे अनेक आत्माओं को भी डुबाती है। इस महापवित्र शास्त्र के प्रारंभ में आचेलाक्यादि इन आचारों का वर्णन किया गया है पर्युषण महा पर्व के प्रारंभ में 3 दिन गृहस्थों के कर्तव्य का वर्णन किया गया है। आज से साधुओं के आचार का वर्णन, उसके बाद भगवान महावीर स्वामी के जीवन का विस्तार से वर्णन, उसके बाद 23 तीर्थकरों के संक्षिप्त जीवन का वर्णन किया जाएगा, उसके बाद गुरुपंररा व समाचारी का वर्णन किया जाएगा। कितने ही लोगों को यह प्रश्न उपस्थित होता है कि गृहस्थों को साधु के आचार व समाचारी समझाने से क्या फायदा व उनकी बात सत्य है। प्राचीन काल में कल्पसुत्र का वंचन श्रवण योग्यतानुसार साछु साध्वीजीओं में होता था, पंरतु भगवान महावीर के निवार्ण के बाद 980 वर्ष बीतने पर धू्रवसेन राजा के पुत्र की मृत्यु हो जाने से शोक से संतप्त राजा को समाधि-शांति प्रदान के लिए आनंदपुर वडनगर में राजा रानी वगैरह गृहस्थों की सभा में कल्पसुत्र का प्रथम वांचन हुआ इससे सबका शोक दूर हो गया और सभी लोग हर्ष और आंनद से विभोर हो गए। उसके बाद कल्पसुत्र चतुर्विध संघ को सुनाना शुरू हुआ। कल्पसुत्र के श्रवण से गृहस्थ शुद्ध के आचार को जानकर उनके उतम आचार की सराहना करें और साध्वाचार पालनें में सहयोग प्रदान करे। पर्युषण महा पर्व के चौथे दिन की प्रभावना शाह पूनमचंद मावाजी अंगारा परिवार की और से की गई। श्री पर्युषण महा पर्व के चौथे दिन भगवान श्री तपागच्छ महावीर स्वामी की अंग रचना के लाभार्थी स्व. शाह सुरजमल सोहनराज बुरड़ परिवार हस्ते सीता बैन की तरफ से रचाई गई है दर्शन का लाभ लिया। इस दौरान तपागच्छ ट्रस्ट मंडल के सदस्य पारसमल चंदन, नगर परिषद सभापति नरेश शेठ, पवन कुमार चंदन, पार्षद दौलतराज अंगारा, पुखराज कोटीसा परमार, जीवराज शेठ पालगोता, रमेश संघवी, जबरमल संघवी, मोहनलाल श्रीश्रीश्रीमाल, ओखाराम शेठ पालगोता, ताराचंद चंदन, चम्पालाल शेठ पालगोता, अमृतलाल गलुफीया, छगनलाल गांधी, हस्तीमल घोडा, धुडचंद संघवी, राजमल, नरपतचंद शेठ बुरड़, समरथमल गलुफीया, मणिलाल शेठ बुरड़, भंवरलाल घोडा, पीरचंद, तेजराज मेहता, दिनेशभाई लोलडिया, संजय गोकलाणी, अशोक घोडा, छबील गलुफीया, महेंद्र बुरड़, जीगरभाई, हरीश शेठ, जयेश घोडा, अशोक शेठ, श्री तपागच्छ जैन संघ व्यास्थापक संजय सेवक सहित सैकड़ों श्रावक श्राविकाओं मौजूद।


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