नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के तीसरे दिन राम जन्मोत्सव मनाया


श्रीराम कथा के तीसरे दिन राम जन्मोत्सव का हुआ आयोजन

सांचौर। श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के निमित्त श्री राज ऋषि दिलीप गौसेवाश्रम के प्रांगण में समस्त ग्रामवासी विरोल बड़ी द्वारा आयोजित नौ दिवसीय श्री राम कथा महा महोत्सव के तीसरे दिन शुक्रवार को परम गौभक्त संत हरिहरदास राम कथा सुनाई। नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के तीसरे दिन राम जन्मोत्सव मनाया गया। इस मौके पर मौजूद श्रद्धालु भगवान श्रीराम सहित चारों भाईयों के जन्म कथा का श्रवण कर झूम उठे। संत हरिहरदासजी ने राम जन्म प्रसंग की ऐसी व्याख्या की कि श्रोता भावविभोर हो उठे। कथा वाचन के दौरान संत हरिहरदासजी ने कहा कि तीन कल्प में तीन विष्णु का अवतार हुआ है और चौथे कल्प में साक्षात भगवान श्रीराम माता कौशल्या के गर्भ से अवतरित हुए है। श्रीराम जन्म प्रसंग से पूर्व संत श्री ने सती प्रसंग की विस्तार से व्याख्या की। उन्होंने कहा कि एक बार माता सती भगवान शंकर को बिन बताए ही माता सीता का रूप धारण कर भगवान राम की परीक्षा लेने चली गई। लेकिन भगवान श्रीराम ने उन्हें पहचान कर पूछ लिया की हे माता आप अकेले कहां घूम रही है। जिसे सुन माता सती संकोच में पड़ गई। लेकिन भगवान शंकर ने ध्यान लगाकर सती द्वारा भगवान श्रीराम की परीक्षा लेने की बातें जान ली। जिसके बाद भगवान शंकर इस सोच में पड़ गए कि सती माता सीता का रूप धारण कर भगवान श्रीराम की परीक्षा लेने चली गई। अब ऐसी स्थिति में मैं सती से प्रेम कैसे कर सकता है। संत जी ने आगे कहा कि माता सती के पिता राजा दक्ष के यहां यज्ञ हो रहा था। जिसमें शामिल होने के लिए माता सती ने भगवान से अपनी इच्छा जाहिर की थी। जिस भगवान शंकर ने माता सती से कहा कि तुम्हारे पिता ने यज्ञ में आने के लिए हम लोगों को आमंत्रित नहीं किया है। हालांकि माता-पिता, गुरु एवं मित्र के घर जाने के लिए आमंत्रण की जरूरत नहीं होती है। जहां मान नहीं हो वहां बिन बुलाए जाना भी नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान शंकर की बात की अवहेलना कर माता सती अपने पिता राजा दक्ष के घर पहुंच गई। लेकिन यज्ञ स्थल के निकट भगवान शंकर का स्थान नहीं देख क्रोध में आकर यज्ञ विध्वंस करने की नियत यज्ञ कुंड में कूदकर अपने शरीर का त्याग कर दी थी। जिसके बाद माता सती ने घोर तपस्या कर राजा हिमाचल एवं रानी मैना के घर पार्वती के रूप में जन्म ली। फिर माता पार्वती से भगवान शंकर का विवाह हुआ और दोनों कैलाश पर्वत जाकर रहने लगें। संगीतमय श्रीराम कथा सुनने के लिए हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हो रही है। श्रीराम कथा के अमृत वर्षा में श्रद्धालु गोता लगा रहे है। इस पावन अवसर पर गोलासन महंत श्री श्री 1008 श्री पूनमपूरी जी महाराज, नेनावा महंत श्री श्री 1008 श्री शिवपुरी महाराज एवम् श्रीशिव कथाकार मुकेश भारती काठियावाड़ का सानिध्य प्राप्त हुआ। इस दौरान सुखराम विश्नोई पूर्व मंत्री राजस्थान सरकार सहित हजारों की संख्या में महिला-पुरूष व बच्चें मौजूद थे। शुक्रवार की कथा के यजमान रूपसिंह व धनसिंह राठौड़ परिवार विरोल बड़ी बने। संतश्री के मुखारबिंद से श्रीराम कथा सुन श्रद्धालु भाव विभोर हो रहे है। कथा के बाद पधारे हुए श्रद्धालुओं को गांववासियों द्वारा गौवृत्ति भोजन प्रसाद की भी व्यवस्था की गई हैं। सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर के 2 बजे तक श्रीराम कथा सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। आगामी 25 जनवरी तक विरोल बड़ी में 9 दिवसीय श्री राम कथा महोत्सव का आयोजन होगा।


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