भीनमाल। तप-तपस्या और आराधना के महत्व को जीवन में अंगीकार करने के लिए आठ दिवसीय पर्यूषण महा पर्व का शुभारंभ मंगलवार से हुआ। जैन धर्म के अनुयायी इन आठ दिनों में सादा जीवन उच्च विचार के सिद्धांत को अपनाते हुए साधना, आराधना, जप-तप के साथ विभिन्न धार्मिक क्रिया करते हुए पूरा दिन व्यतीत करते है। पर्यूषण महा पर्व के दौरान श्रावक तथा श्राविकाओं में धर्म, ध्यान, दान, पुण्य तथा आत्म कल्याण के प्रति विशेष उत्साह रहता है। पर्यूषण महा पर्व के दौरान स्थानीय महावीर स्वामी जैन मंदिर प्रांगण में जैन समाज के वरिष्ठ मुनिराज हितेशविजय म सा ने अपने प्रवचन में कहा कि तप एवं आराधना जैन धर्म का आधार स्तम्भ है। आराधना से मन में पवित्रता एवं आत्मा में उच्चता का संचार होता है। आराधना परमात्मा के प्रति की गई भक्ति है, जो दिखावें और झूठ से दूर रहती है। उन्होंने जिनेश्वर पूजा की चर्चा करते हुए कहा कि तीन अंग की पूजा गम्भारे में होती है तथा पांच प्रकार की अग्र पूजा मंडप में होती है। गुरु भक्ति, सुपातर दान एवं अनुकम्पा दान पर भी विस्तार से जानकारी दी। जिनवाणी का श्रवण करना प्रत्येक श्रावक-श्राविका का कर्तव्य होता है। पर्यूषण महा पर्व को लेकर सभी जैन मंदिरों को सजाया गया तथा पर्यूषण महा पर्व के प्रथम दिन मंगलवार प्रात: से ही भगवान की पूजा-अर्चना करने वालों की भीड़ लग गई। चातुर्मास समिति के प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी माणकमल भंडारी ने बताया कि पर्यूषण महा पर्व के दौरान शुक्रवार 14 सितम्बर से कल्पसूत्र का वांचन शुरू किया जायेगा। इसी क्रम में शनिवार 15 सितम्बर को वीर प्रभु का जन्म वांचन किया जायेगा। आगामी मंगलवार 19 सितम्बर को क्षमापना दिवस के साथ संवत्सरी प्रतिक्रमण कर समस्त जीवों से क्षमा याचना की जायेगी। पर्यूषण महा पर्व में भाग लेने के लिए बैगलोर, चेन्नई, हैदराबाद, मुम्बई, मैसूर, विजयवाडा, मदुराई, अहमदाबाद, सूरत, कल्याण सहित मध्य प्रदेश के कई स्थानों से गुरु भक्त यहां आकर जप-तप एवं तपस्या में लीन हो गये है। इस अवसर पर भंवरलाल वर्धन, मुकेश बाफना, भंवरलाल कांनूगो, माणकमल भंडारी, धर्मचंद बाफना, गुमानमल ठेकेदार, रमेश बोटी, पुखराज कांनूगो, रमेश बाफना, विलमचंद मेहता, घेवरचंद भंडारी, देवेन्द्र भंडारी, दानमल सालेचा, दिनेश चौपडा, शैलेश कोठारी, सुरेश जालोरी सहित कई जैन समाज के कई बंधुओं एवं मातृ शक्ति ने अपनी उपस्थित दर्ज कराई।