भीनमाल। पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व की समाप्ति के पश्चात पांच कर्त्तव्यों में से एक कर्त्तव्य के तहत स्थानीय गणेश चौथ स्थित शांतिनाथ जैन मंदिर प्रांगण से मंगलवार को चैत्य परिपाटी का आयोजन किया गया। माणकमल भंडारी ने बताया कि इस अवसर पर जैन समाज के हजारों श्रावक-श्राविकाओं के साथ जैन समाज के वरिष्ठ मुनिराज हितेशविजय म सा आदि ठाणा चार एवं साध्वी मंडल ठाणा सात के सानिध्य में श्रावक एवं श्राविका अपने पारम्परिक वेशभूषा में शोभा यात्रा की शोभा बढ़ा रहे थे। शोभा यात्रा स्थानीय गणेश चौक स्थित शांतिनाथ मंदिर से रवाना होकर महालक्ष्मी रोड़, खारी रोड़, रानीवाडा रोड़ पर स्थित शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन मंदिर प्रांगण में पहुंची। वहां मंदिर में दर्शन वंदन कर धर्म सभा का आयोजन किया गया। वहां पर जैन मुनिराज हितेशविजय म सा ने अपने प्रवचन में कहा कि पयुर्षण महापर्व पर अपनाये जाने वाले पांच कर्तव्यों का अवश्य पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने अमारी प्रवर्तन, साधार्मिक वात्सल्य, क्षमापना, अढ्ढम तप एवं चैत्य परिपाटी के बारे में विस्तार से बताया।चैत्य परिपाटी के अवसर पर शंखेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर प्रांगण में आंचलगच्छ जैन संघ द्वारा पूरे जैन समाज के लिए स्वामीवात्सल्य का आयोजन रखा गया। जिसमें सभी भीनमाल जैन समाज के लोगों के अलावा आस पास क्षेत्र के अनेक गांवों एवं कस्बों के श्रद्धालुओं ने भाग लिया। चैत्य परिपाटी के आयोजन में उमरावमल सेठ, मोहनलाल सेठ, पृथ्वीराज भीमाणी, उतम संघवी, माणकमल भंडारी, भंवरलाल कांनूगो, मुकेश बाफना, पुखराज कांनूगो, हेमराज मेहता, अशोक सेठ, अरविंद सेठ, डा.नेमीचंद संघवी, तेजराज भंडारी, रमेश चंदन, रमेश धोकड, नेमीचंद, शैलेश कोठारी सहित जैन समाज के हजारों लोग उपस्थित थे।