बिनु सत्संग विवेक न होई, राम कृपा बिनु सुलभ न सोई : संत हरिहरदास महाराज


सांचौर। बिनु सत्संग विवेक न होई, राम कृपा बिनु सुलभ न सोई। यह बातें बड़ी विरोल के समस्त ग्राम वासियों द्वारा श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के निमित्त श्री राज ऋषि दिलीप गौसेवाश्रम प्रांगण में आयोजित श्री राम कथा महा महोत्सव के तीसरे दिन रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा वर्णन का वाचन करते हुए प. पू. गौभक्त हरिहरदासजी ने कही। संत हरिहरदास ने कहा कि इसका अर्थ है कि बिना सत्संग के व्यक्ति के भीतर विवेक (बुद्धि) की उत्पत्ति नहीं होती है तथा बिना राम कृपा के यह संभव नही है। राम कृपा का महात्म्य भी अनंत है।  उन्होंने कहा कि अगर स्वर्ग तथा उसके भी ऊपर जो लोक है उनके सुखो को तराजू के एक तरफ रख दिया जाए और एक तरफ एक घड़ी का सत्संग का सुख रखा जाए तो दूसरे पलड़े का भार बहुत अधिक होगा। सत्संग की महिमा का वर्णन करते हुए कहते है कि ‘एक घड़ी आधी घड़ी आधी में पुनि आधी,’ ‘तुलसी संगत साधु की हरे कोटि अपराध’। अर्थात अगर हम संतो के संगति में एक घडी, आधी घड़ी या फिर उसकी आधी घड़ी भी बैठते हैं तो हमसे होने वाले करोड़ों पापो का हरण होता है। कहा कि इसलिए सत्संग करने से लाभप्रद होता है। अयोध्या से भगवान श्री राम चंद्र जी के मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम कथा पंडाल में बड़ी स्क्रीन पर लाइव दिखाया गया। वही प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की पूर्व संध्या पर विशाल भजन संध्या में वीरू नेहड़ एवम रेखा परमार ने भजन प्रस्तुत किए। सोमवार के दैनिक यजमान बग व सोलंकी परिवार बने। इस अवसर पर अमराराम माली उपाध्यक्ष माली समाज, गणपत दवे पतंजलि, रमेश राजपुरोहित, दिलीप त्रिवेदी, पोपट पांड्या, ईश्वर सिंह पांचला, कृष्ण मालवी पांचला सहित श्री राम कथा सुनने के लिए सैकड़ों महिला-पुरूष व बच्चें मौजूद थे।


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