National dentist day Special : स्वस्थ दांतों से बढ़ता है आत्मविश्वास, इनकी देखभाल बेहद जरूरी : डॉ राजेश बिश्नोई


जोधपुर। दांतों के स्वास्थ्य को लेकर हमारे मन में बहुत सी भ्रांतियां हैं जिनके बारे में स्पष्ट होना बेहद जरूरी है। शायद इसीलिए लोग दंतचिकित्सक के पास आम तौर पर तभी जाते हैं जब दांत का दर्द असहनीय नहीं हो जाता। इसके अलावा भी तो कई समस्याएं है दांतों को लेकर जिनके निदान के लिए अगर समय पर डाक्टर के पास जाए तो कई तरह के तनाव से बचा जा सकता है। अक्सर ही मरीज अपने टेढ़े मेढ़े दांतों या होठों से बहर निकले दांतों को मुंह में छुपाए अपनी मोहक मुस्कान तक को अलविदा कह देते हैं। कई लोग तो पार्टियों, समारोहों, यहां तक कि समूह में बैठकर भी मुंह खोलने से हिचकिचाते हैं। मुंह से बदबू निकलने के डर से मुंह पर हाथ रखकर बोलते हैं। यह शर्म नारीत्व गुण वाली शर्म नहीं होती बल्कि खराब दातों की वजह से कम हुए आत्मविश्वास की वजह से होती है। इसीलिए समय पर दांतों संबंधी बीमारियों को दूर करना बेहद जरूरी है।कृष्णा डेन्टल हॉस्पीटल पाल रोड़ जोधपुर के डॉ राजेश बिश्नोई इसकी वजह बड़े अच्छे से समझाते हैं। यहां पत्रकारों से बातचीत में वे दांतों संबंधी बीमारियां गिनवाते समय बताते हैं कि मुंह से बदबू आने की वजह दांतों की पायरिया नामक बीमारी होती है, लेकिन अक्सर ही मरीज दंत चिकित्सक के पास जाने की बजाय या तो खुद को समाज से अलग कर लेता है या फ्रि आत्मविश्वास कम होने के चलते अपनी महत्वाकांक्षा ही कम कर लेता है और फिर धीरे-धीरे दांतों की खराबी की वजह से उन्हीं से होकर गले से उतरता भोजन कई और बीमारियों को न्यौता दे देता है। यहां तक कि यह धीरे-धीरे दिल की बीमारी का भी कारण बन जाता है। इसलिए समय पर दांतों का इलाज करवाना बेहद जरूरी है।डा. राजेश बिश्नोई के मुताबिक हमारे देश में ज्यादातर लोगों (इनमें पढ़े-लिखे लोग भी शामिल है) के मन में दांतों की सफाई (स्केलिंग) को लेकर भ्रांतियां हैं। जैसे इससे दांत कमजोर हो जाते हैं। डाक्टर ने तो दांत ही हिला दिए वगैरह-वगैरह। जबकि सच्चाई यह है कि समय के साथ दांतों की स्केलिंग (सफाई) बेहद जरूरी है। असल में दांतों के बीच जगह होने पर उनमें भोजन फंसता है। दो दिन तक भी अगर भोजन का अंश दांत में टिका रहता है तो वह क्लार्क बन जाता है। इस क्लार्क में बैक्टीरिया भरे होते हैं और फिर भी सफाई न हो पाए तो वह क्लार्क मैक्टीरिया अल्बा (कड़ी व्हाइट मैटीरियल) बन जाता है। फिर भी ब्रश से सफाई न हो तो फिर यह कैल्सीफाई हो जाता है और सख्त सी चीज बन जाती है और फिर इससे मसूड़े कमजोर होते चले जाते हैं। मसूड़े कमजोर होते ही दांतों संबंधी कई बीमारियां अपने आप आना शुरू हो जाती है।बढ़ती उम्र के साथ दांत बाहर की तरफ आने या खुले होने की वजह बताते हुए डा राजेश कहते हैं कि असल में हमारे दांत एक जगह पर मुंह में फिक्स होते है जोकि कुदरत ने किए हैं। इस फिक्स जगह को न्यूट्रल जोन कहते हैं। हमारे मुंह में दो तरह की मांसपेशियां होती है- जीभ और होठों की मांसपेशियां। जीभ की मांसपेशिया अंदर की तरफ से दांतों को बाहर की ओर धक्का देती हैं जबकि होठों और कुछ कुछ-कुछ गाल की मांसपेशियां अपने दबाव से दांतों को अंदर की तरफ धकेलती है। ये दोनों तरह की मांसपेशियां हमेशा अपना काम करती रहती हैं। अब दातों की सीधाई का फार्मूला है- जीभ का एकतरफा बाहर का दबाव और होठों का अंदर की तरफ दबाव और मसूड़ों का उन्हें मजबूती से पकड़े रखना। जब तक ये दोनों दवाव बराबर रहते हैं तब तक दांतों में सीधापन बना रहता है। अब जैसे- जैसे हमारी उम्र बढ़ती है या फिर मसूड़े कमजोर होने की वजह से पायरिया जैसी कोई समस्या आ जाती है तो मसूड़े कमजोर हो जाते हैं। ऐसे में होठों का दबाव कम हो जाता है और वही होने के कारण जीभ दांतों को बाहर धकेलने में सफल हो जाती है। बाहर आने पर दातों का साइज तो वही रहता है, पर उन्हें बाहर ज्यादा जगह मिलने पर दांत फैलने लगते हैं और दांतों के बीच जगह बढ़ जाती है। इसके साथ ही आपके चेहरे की सुंदरता बिगड़ने के अलावा खाने-पीने की चीजें दांतों के बीच फंसना शुरू हो जाता है और वह सड़न पैदा कर बदबू और बैक्टीरिया का कारण बनता चला जाता है। वहीं जिन लोगों के मसूड़े स्वस्थ रहते हैं या फिर डाक्टर से सलाह लेकर देखभाल करते हैं उनको यह समस्या नहीं आती।दांतों को बचाने के 5 टिप्स• ब्रश करनाः रात को सोने के समय ब्रश जरूर करें। बैक्टीरिया पनपने का खतरा कम होगा।• समय पर जांचः दांतों में समस्या होने पर ही लोग डेंटिस्ट के पास जाते हैं। साल में कम से कम 2 बार जांच जरूर कराएं।• फ्लॉस: दिन में कम से कम एक बार दांतों के बीच फ्लॉस या इंटर प्रॉक्सिमल ब्रश का इस्तेमाल करें, ताकि भोजन दांतों के बीच ना जाये।• धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान करने से बचें। इससे दांतों की चमक कम होती है। मसूड़ों की बीमारियां भी होती हैं।• शुगर पर कंट्रोल : डाइट में मीठी चीजों की मात्रा कम करें। इससे बैक्टीरिया पनपने की संभावना कम होगी।• शुगर से दांतों पर असरः डायबिटीज से मरीजों के दांतों पर भी असर पड़ता है। उनकी बोन लॉस होने लगती है। अनकंट्रोल डायबिटीज दांतों की हड्डी गलाएगी। साथ ही मुंह के इंफेक्शन-सूजन की संभावना रहेगी।


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