पर्यूषण महा पर्व धर्म की पहचान का समय है


भीनमाल। स्थानीय महावीर स्वामी जैन मंदिर प्रांगण में पर्युषण महा पर्व के दुसरे दिन बुधवार को वरिष्ठ जैन मुनि राज हितेशविजय म. सा. ने अपने प्रवचन में कहा कि धर्म क्या है, तथा धर्म की पहचान क्या है। यही महापर्व पर्युषण में जानने योग्य है। संसार सागर से जीवन रूपी नैया को पार करने के लिए धर्म भावना जरूरी है। किसी के भी त्याग की निंदा नहीं करनी चाहिए। अगर कोई लोभ वश भी धर्म कार्य करता है तो भी उसकी निंदा नहीं करनी चाहिए। अपने स्वयं की निंदा करके देखो, इससे आपको स्वयं कितना आनन्द आता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को भूख की वेदना सहन करना मुश्किल हैए परन्तु कर्मो की वेदना उससे भी मुश्किल है। सुख तथा दु:ख भोगने में मन को समान रूप से रखना चाहिए। तप-जप करने वालों पर अंगूली नहीं उठानी चाहिए। जैन मुनिराज हितेशविजय म सा ने सामायिक का अर्थ बताते हुए कहा कि सम भाव रख कर आराधना करना ही सामायिक है। यह अमूल्य है, इसका कोई मूल्य आंका नहीं जाता है। मनुष्य को दु:ख एवं निंदा सहन करने की शक्ति होनी चाहिए। अपने जीवन में करूणा लाना तथा दूसरों की निंदा करने का स्वभाव नहीं रखना चाहिए। चातुर्मास समिति के प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी माणकमल भण्डारी ने बताया कि पर्वाधिराज पर्युषण में प्रतिदिन प्रभु दर्शन, पौषध, पूजा, प्रतिक्रमण तथा प्रवचन सुन कर एकासना या वियासना आदि कार्यो के साथ दिन व्यतीत होता है। भंडारी ने बताया कि पर्वाधिराज पर्युषण के दौरान शहर के सभी जिन मन्दिरों को भव्य तरीके से सजाया गया। इस अवसर पर आठों दिनों तक सभी जिन प्रतिभाओं की सुन्दर आंगी भी रचाई जाती है। शहर के सभी धार्मिक स्थानों पर श्रद्धालु विभिन्न धार्मिक क्रिया कर तप-जप के साथ आराधना कर रहे है। प्रवचन में भंवरलाल वर्धन, मुकेश बाफना, भंवरलाल कानूंगो, माणकमल भंडारी, पवनराज मेहता, बिलमचंद मेहता, गुमानमल ठेकेदार, सोहनराज मेहता, दलीचंद संघवी, दानमल सालेचा, सोमतमल सालेचा, शैलेश कोठारी सहित कई लोग उपस्थित थे।


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